सर्दियों में शकरकंदी खाने के फायदे

अब सर्दियां शुरू हो रही हैं। ऐसे में इस सर्दी के मौसम में हमारे आस-पास खाने-पीने के बहुत से विकल्प मौजूद होते हैं। कुछ फल तो ऐसे होते हैं हम जिनका सेवन सिर्फ सर्दी के मौसम में ही कर सकते हैं। जैसे ऐसा ही एक फल है शकरकन्दी।  जिसे हम अंग्रेजी भाषा में स्वीट पोटैटो भी कहते हैं। शकरकन्दी खाने के बहुत सारे फायदे होते हैं जो आज हम आपको बताने वाले हैं।
Shakarkandi khane ke fayde hindi me
1.  प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए
शकरकंदी के अन्दर विटामिन-B,  कांप्ले़क्स, आयरन, फास्फोसरस और विटामिन- C और इसके अलावा इसके अन्दर बीटा कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इस प्रकार से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
2. अस्थमा से बचाव के लिए शकरकंदी का प्रयोग
आपको तो पता ही है की शकरकन्दी शरीर को गर्म रखता है। इसके अन्दर मौजूद विटामिन सी के सेवन से फेफड़ों जैसी परेशानी में बहुत आराम मिलता है।
3. पाचन क्रिया में मदद
शकरकंदी स्वादिष्ट होती है ये तो सभी को पता है। इसके अन्दर फाइबर भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता हैं। इस प्रकार से यह हमारे शरीर के पाचन तंत्र के लिए भी अच्छी होती है।
4. कैंसर में मदद
शकरकन्दी में बीटा कैरोटीन होने के कारण यह कैंसर से लडने में सहायक माना जाता है। शकरकंदी आंत के कैंसर से हमारे शरीर की रक्षा करता है।
5. हृदय स्वास्‍थ्‍य के लिए
शकरकन्दी के सेवन से हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा कम होता है जाता है। शरीर का रक्त-चाप भी नियंत्रित रहता है।
6. डायबिटीज़ में मदद
यह डायबिटिक्स वाली यह सोच ही लोगों में गलत है। कि वह शकरकन्दी नहीं खा सकता । उन्हें नहीं पता की शकरकंदी के सेवन से रक्त़ के अन्दर शर्करा का स्तर ठीक रहता है। जिसके कारण इन्सु‍लिन की मात्रा भी शरीर में ठीक रहती है।
7. वज़न घटाने और बढाने के लिए –
शकरकंदी के अन्दर प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, स्टाऔर्च, विटामिन्स , मिनरल होते हैं। ये सभी हमारे शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा देते हैं।  अगर आप भी मोटापा घटाना या बढाना चाहते हैं मेरी सलाह लीजिए और शकरकंदी का सेवन शुरू कीजिए।

One Reply to “सर्दियों में शकरकंदी खाने के फायदे”

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-10-2016) के चर्चा मंच "बदलता मौसम" {चर्चा अंक- 2499} पर भी होगी!
    शरदपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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