परमात्मा का अपने बच्चों को ख़त

  खुदा का खत 
                                   मीठे बच्चे !
                  आज सेवेरे निंद्रा में से  आप  उठे तब  एक आशा लिए में  आपको देख  रहा था कि आप जरूर  कुछ  बातें  मुझ से  करेगें, चाहे  केवल  थोडे  ही  शब्द  क्यों  न  हो ? आप मेरा  अभिप्राय अवश्य जानना  चाहेंगे अथवा  कल आपके जीवन में  घटी  शुभ घटना के  लिये मुझे धन्यावाद  देंगे ! किन्तु मुझे  ऐसा लगा कि आप अत्यन्त व्यस्त थे ! कार्य-स्थल.  पर   पहुँचने  की   जल्दी   में,   अपने प्रात:कार्यो से निपटने में रत थे !
                   और में प्रतिक्षा करता रहा…जब  आप  तैयार  होकर  घर   से   निकल  पड़े  तब  में समझता था  की  कुछ  मिनट ठहरकर ‘ हेलो’  तो जरूर कर पायेंगे, किन्तु आप बुहत व्यस्त थे ! एक बार तो आप को पन्द्रह मिनट इंतजार करना  पड़ा और  कुर्सी  पर बैठने के अलावा और  कोई  काम नहीं था ! फिर, मैने देखा कि आप एकदम  से खड़े हो गये ! मैने सोचा था  कि आप मुझसे बात करना चाहते है, परन्तु  आपने तो फौरन फोन जोड़ा और मित्र से गपशप करने लगे !
               आपको कार्य  पर रवाना  होते  हुए  मैंने    देखा   था    और    फिर    दिन-  भर.   मैने  धैर्यतापूर्वक   इंतजार   किया    था   आपकी   इन प्रवृत्तियों   को  देखकर मैने  अनुमान   किया   कि  आप इतने व्यस्त थे जो मुझसे  कुछ भी कहने  कि फुर्सत  नहीं   थी  !  जब  भोजन  के   पूर्व  आपने आसपास नजर   दौड़ाई   तो  मुझे  लगा  था   कि  शायद मुझे  से बात करने के लिय आप बेताब है ! आपने  तीन-चार  टेबुल तक अपनी निगाहें घुमाई  तो  आपको   कई  मित्र  खाना शुरू करने से पहले मुझसे थोड़ी सी  बातचीत  करते  हुए दिखाई दिये, पर आपने वह  नहीं किया ! कोई बात नहीं !
                   इसी  प्रकार   कुछ   समय  और  निकल  गया  और आपके घर लौटने  के  पशचात् मैने आशा रखी  की  अब  तो आप अवश्य  मुझसे बातें करेगें यधपि ऐसा जान पड़ता था  कि आपके बुहत कुछ कार्य करने  बाकी  है ! उनमें  से कुछेक कार्य  पूर्ण  हो  जाने  के  बाद आपने  टी•वी  चालु किया ! में  यह समझ नहीं  पा रहा हुँ  कि आपको टी•वी पसन्द है या नहीं,  बस  जो  उस पर  दर्शाया जाता है  उसे देखने में आप प्रति-दिन  बुहत समय व्यय करते हैं ! कार्यक्रमो में तल्लीन आप और सब कुछ भूल जाते है ! में सब्रतापूर्वक फिर से इंतजारी से भरी निगाहों से आपको टी•वी देखते हुए, रात्रि-भोजन  लेते   हुए  निहारता  रहा  लेकिन  फिर  से आपने मुझसे कोई बातचीत नहीं की !
                  निंद्रा के समय मुझे  ख्याल आया  कि आप  बहुत  थके  हुए  है  ! अपने  परिवारजनों  को  शुभरात्री कहते  हुए आप बिस्तर पर लेट  गये  और  कुछ  क्षणों   में  निंद्राधिन   हो   गये  !  चलो,  कोई  बात  नहीं,  शायद   आपको   यह  अहसास   ही  नहीं   होगा  कि   मैं  सदा  आपके  आस-पास  ही  रहता  हूँ   !  मेरे   पास  आपसे   बुहत  अधिक   धैर्यता   है  और   मैं   आपको  भी   यही  सिखाना  चाहता  हुँ  कि  अन्यो   के  साथ  भी  किस  प्रकार  धैयर्तापूर्वक  रहना  चहिए  !
                 मैं   आपको  इतना  अधिक  प्यार  करता   हुँ  कि  मैं  हर    रोज़   आपकी   अराधना, आपके दिल का प्यार, ह्रदय  के उदगारों को सुनने   की    प्रतिक्षा   करता   रहता    हूँ    ! एक   तरफा  वार्तालाप   करना  किठन कार्य   है  ! अच्छा, फिर  से  आप  सोकर  ऊठ  रहे  और  मैं, फिर एक बार  प्रतिक्षा  कर  रहा  हुँ…..दिल   में  आप   के  प्रति  अनहद प्यार  लेकर ,   इसी   आशा  मे  कि  आप आज तो मेरे लिय ज़रूर कुछ समय निकालेंगे !
    अच्छा, शुभ-दिन मुबारक हो !
                         आपका मित्र…खुदा दोस्त !

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