स्वच्छ भारत : मन की सफाई कैसे हो ?

भारतवर्ष मे ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुवात हो गयी है और समय सीमा भी तय हो गयी , 2019 तक!

निश्चित रूप से हमें अपने शरीर, घर, मोहल्ले, गांव और शहर की स्वच्छता मे नियमित रूप से योगदान देना है और एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज और देश के निर्माण मे भागीदार बनना है.

 
लेकिन क्या मात्र इन्ही प्रयासों से हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर पाएंगे? बहुतों को शायद संदेह है.
क्यों कि समस्याओं की जड़ तो हमारे मन, बुद्धि और संस्कारों मे है और हमें अपने मन के कचरे और मैल को भी साफ करना होगा, धोना होगा.

क्या है मन का कचरा और मैल ?

आजकल  जब हम समाचार देखते है तो वह अनगिनत नकारात्मक और पाशविक कर्मों की खबरों से भरा रहता है.

मन में उठती  काम विकार की आग ही आज बलात्कार, बच्चों के शारीरिक शोषण, लड़कियों पर एसिड हमले, छेड़खानी, चारित्रिक पतन, वेश्यावृति, मानव तस्करी, कम उम्र मे अविवाहित गर्भवती होती बच्चियाँ, घरों मे ही परिवार और निकट सम्बन्धियों द्वारा हो रहा यौन शोषण, दिग्भ्रमित होते युवा और अश्लीलता के अम्बार  का कारण है, जिसने हमारे समाज और देश को, बच्चों और महिलाओं सहित सबके लिये कितना असुरक्षित बना दिया है.

मन मे उठता क्रोध विकार हत्या, दंगे, लूट,मारपीट, घरेलु हिंसा, घरेलु तनाव, आत्महत्या सहित कई अन्य अपराध का कारण बना हुआ है, जिससे लोग अन्य और स्वयं को भयानक नुकसान पहुंचा रहे है.क्रोध मे उठाया गया एक कदम कई जिन्दगियाँ एक पल मे ही लील जाता है.

लोभ विकार का मैल से ही लिपटे लोग मिलावट कर के अन्य लोगों को मौत के मुंह मे धकेल रहे है| स्वयं को जीवन के आनंद से दूर कर पुरे दिन ऑफिस मे मर खप रहे है| लोगों के साथ ठगी और धोखा कर रहे है| लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे है| नकली मुद्रा का कारोबार कर देशद्रोह का कार्य कर रहे है और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे है| चोरी, घोटाले, रिश्वत सहित कई अन्य अपराधों मे लिप्त हो अपने परिवार, समाज और देश को भारी आघात पहुंचा रहे है |  कुछ चंद कमाई के लोभ मे आज मनुष्य को हर हद, मर्यादा और कानून को तोड़ते हुए देखा जा सकता है.

मोह  विकार के मैल से ग्रस्त हो, भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दे रहे है, अपने बच्चों की अनुचित इच्छाओं के आगे समर्पण करके उनको गलत मार्ग पर धकेल रहे है. मोहवश दूसरों के लिये व्यर्थ ही अशुभ सोचते रहते है. अपने करीबी लोगों की बुराईयों और भ्रष्टाचार को नजरअंदाज कर देते है. और तो और कुछ धर्मांध लोग अपने धर्म और संप्रदाय के मोह में पूरी दुनिया आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा की आग मे झोंकने का काम युद्ध स्तर पर कर रहे है|

अंहकार के विकार से ग्रसित हो लोग, व्यर्थ के दिखावे परअनगिनत खर्चा कर रहे है, दूसरों से दुरी बढ़ रही है, दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान और संहिंष्णुता खत्म हो रही है. अपने अंहकार की पुष्टि के लिये हमेशा चिंतित रहते है और दूसरों से अपने रिश्तों को अपने अंहकार की बलि चढ़ा देते ह, आज जिस तरह परिवार टूट रहे है, तलाक बढ़ रहे है वह इसकी ही बानगी है.और तो और अहंकार हमें आने वाले खतरे और सच्चाई से बेखबर रखता है| झूठी शान और अपने अहंकार की पुष्टि के लिये हत्या और अपराध की ख़बरें भी कुछ कम नहीं सुनाई देती.

इनके अतिरिक्त इर्ष्या, द्वेष,घृणा, हिंसा, आलस्य, अकर्मण्यता, व्यर्थ चिंतन, तनाव   सहित कई अन्य प्रकार के विकार का कचरा और धूल मन, बुद्धि और संस्कार चढ़ी है. इन सभी मनोविकारों के कारण मनुष्य का जीवन तमाम भौतिक सुखसुविधाओं के होने के बावजूद भी नर्क बना हुआ है|

 

आज, यदि  हम सम्पूर्ण पवित्र बनाना चाहते है, तो हमें सबसे पहले अपने मन, बुद्धि और संस्कारों को इन सभी विकारों से मुक्त करना होगा और मन को सच्ची शांति, प्रेम और पवित्रता से भरपूर करना होगा.

 

 मन, बुद्धि, संस्कार से इन सभी विकारों की सफाई कैसे हो?
  • अपने  मन, बुद्धि, संस्कारों से सभी बुराईयों और विकारों का खात्मा करने की कला है राजयोग

  • राजयोग मनुष्य को उसके सच्चे स्वरुप का स्मरण करवाता है, उसे अपने मूल स्वरुप, जो की पवित्र है, निर्मल है, शांत है, उससे जोड़ता है
 

  • राजयोग आत्म मे बल भरने की कला सिखाता है, आत्मा को गुणों से परिपूर्ण बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है.

  • राजयोग से अपने मन पर नियंत्रण और उसकी सफाई का हुनर सिखा जा सकता है.
 राजयोग कैसे और कहाँ सीखें ?
       राजयोग सीखने के लिये अपने निकटतम राजयोग केन्द्र की जानकारी के लिए :

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